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सूर ने कहा / रश्मि प्रभा
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सूर ने मुझसे कहा-
“रश्मि,
आँखों से जो दिखता है,
वह क्षणिक है,
पर भीतर जो उतरता है,
वह शाश्वत है।
मैंने कृष्ण को
अपनी अंधी आँखों से नहीं,
अपने मन से देखा ।
वह हंसी में,
आंसू में,
हर विरह की गंध में
जी उठता था ।
दुनिया पूछती रही-
‘सूर, तुमने कैसे देखा कृष्ण को ?’
और मैं कहता रहा,
‘जब आंखें बंद होती हैं,
तभी असली दर्शन होता है।’
रश्मि,
तुम भी उन्हें
बाहर मत खोजो ।
वे तुम्हारे शब्दों की लय में,
तुम्हारी मौन प्रार्थना में,
और तुम्हारे आंसुओं की नमी में हैं।
साधारण सी दिनचर्या में भी
वह असाधारण है...
बस देखना
अपनी भक्ति की आंखों से।”