भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी/ विनय प्रजापति 'नज़र'

Kavita Kosh से
विनय प्रजापति (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:12, 29 दिसम्बर 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


लेखन वर्ष: २००३

हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था

मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था

बर्ग़े-बहार= बहार के पत्ते, मोर्चा= जंग, rust