Last modified on 19 जनवरी 2009, at 09:24

घुड़सवार का गीत / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:24, 19 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का |संग्रह= }} <Poem> काली चा...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

काली चांदनी में राहज़न के झनझना रहे हैं रकाब

काले घोड़े,
कहाँ लिए जा रहे हो पीठ पर
मुर्दा असवार?

राहज़न बेजान
कड़े करख़्त रकाब
हाथ से जिनकी छूट चुकी है लगाम
सर्द घोड़े
फूल-गंध चाकू की
क्या ख़ूब !

काली चांदनी में
मोरिना पर्वतमाला के बाजुओं से
होता है रक्तपात !

काले घोड़े
कहाँ लिए जा रहे हो पीठ पर
मुर्दा असवार ?

सर्द घोड़े
फूल-गंध चाकू की,
क्या ख़ूब ?

काली चांदनी में
चीरती हुई चीख़ और अलाव की धार

काले घोड़े'
कहाँ लिए जा रहे हो
अपना
मुर्दा असवार ?

अंग्रेज़ी से अनुवाद : गुलशेर खान शानी