भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ठोस लिखना या तरल लिखना / यश मालवीय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:09, 20 जनवरी 2009 का अवतरण
ठोस लिखना या तरल लिखना
दोस्त मेरे कुछ सरल लिखना
आस्था के सिन्धु मंथन में
नाम पर मेरे गरल लिखना
भोर में भी एक सो रहे हैं जो
नींद में उनकी खलल लिखना
पाँव जब पथ से भटकते हों
गाँव की कोई मसल लिखना
झूठ का चेहरा उतर जाए
बात जब लिखना असल लिखना
पेट की जो आग है उसको
आग में झुलसी फसल लिखना