Last modified on 20 जनवरी 2009, at 20:09

ठोस लिखना या तरल लिखना / यश मालवीय

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:09, 20 जनवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ठोस लिखना या तरल लिखना
दोस्त मेरे कुछ सरल लिखना

आस्था के सिन्धु मंथन में
नाम पर मेरे गरल लिखना

भोर में भी एक सो रहे हैं जो
नींद में उनकी खलल लिखना

पाँव जब पथ से भटकते हों
गाँव की कोई मसल लिखना

झूठ का चेहरा उतर जाए
बात जब लिखना असल लिखना

पेट की जो आग है उसको
आग में झुलसी फसल लिखना