भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्वतंत्रता / शशि सहगल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:39, 24 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |संग्रह= }} <Poem> अमरीका में है आज़ादी की म...)
अमरीका में है
आज़ादी की मूर्त्ति
उस मूर्त्ति का
केवल धड़ है सिर नहीं।
सिरकटी आज़ादी
बड़ी भयावह होती है
क्योंकि समझ नहीं पाती वह
आज़ादी का अर्थ
फिर
इस बेसिर की आज़ादी का
मतलब ही क्या है?