भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये / तुलसीदास

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:04, 27 जनवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} <poem> '''राग बिलावल''' सुभग सेज सोभित ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

           राग बिलावल

सुभग सेज सोभित कौसिल्या रुचिर राम-सिसु गोद लिये |
बार-बार बिधुबदन बिलोकति लोचन चारु चकोर किये ||
कबहुँ पौढ़ि पयपान करावति, कबहूँ राखति लाइ हिये |
बालकेलि गावति हलरावति, पुलकति प्रेम-पियूष पिये ||
बिधि-महेस, मुनि-सुर सिहात सब, देखत अंबुद ओट दिये |
तुलसिदास ऐसो सुख रघुपति पै काहू तो पायो न बिये ||