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आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ / प्रदीप

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लेखक: प्रदीप

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आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झाँकी हिंदुस्तान की</br> इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की</br> वंदे मातरम ...</br>

उत्तर में रखवाली करता पर्वतराज विराट है</br> दक्षिण में चरणों को धोता सागर का सम्राट है</br> जमुना जी के तट को देखो गंगा का ये घाट है</br> बाट-बाट पे हाट-हाट में यहाँ निराला ठाठ है</br> देखो ये तस्वीरें अपने गौरव की अभिमान की,</br> इस मिट्टी से ...</br>

ये है अपना राजपूताना नाज़ इसे तलवारों पे</br> इसने सारा जीवन काटा बरछी तीर कटारों पे</br> ये प्रताप का वतन पला है आज़ादी के नारों पे</br> कूद पड़ी थी यहाँ हज़ारों पद्‍मिनियाँ अंगारों पे</br> बोल रही है कण कण से कुरबानी राजस्थान की</br> इस मिट्टी से ...</br>

देखो मुल्क मराठों का ये यहाँ शिवाजी डोला था</br> मुग़लों की ताकत को जिसने तलवारों पे तोला था</br> हर पावत पे आग लगी थी हर पत्थर एक शोला था</br> बोली हर-हर महादेव की बच्चा-बच्चा बोला था</br> यहाँ शिवाजी ने रखी थी लाज हमारी शान की</br> इस मिट्टी से ...</br>

जलियाँ वाला बाग ये देखो यहाँ चली थी गोलियाँ</br> ये मत पूछो किसने खेली यहाँ खून की होलियाँ</br> एक तरफ़ बंदूकें दन दन एक तरफ़ थी टोलियाँ</br> मरनेवाले बोल रहे थे इनक़लाब की बोलियाँ</br> यहाँ लगा दी बहनों ने भी बाजी अपनी जान की</br> इस मिट्टी से ...</br>

ये देखो बंगाल यहाँ का हर चप्पा हरियाला है</br> यहाँ का बच्चा-बच्चा अपने देश पे मरनेवाला है</br> ढाला है इसको बिजली ने भूचालों ने पाला है</br> मुट्ठी में तूफ़ान बंधा है और प्राण में ज्वाला है</br> जन्मभूमि है यही हमारे वीर सुभाष महान की</br> इस मिट्टी से ...</br>