इन्साफ़ की डगर पे / प्रदीप
कवि: प्रदीप
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इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
दुनिया के रंज सहना और कुछ न मुँह से कहना
सच्चाइयों के बल पे आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम संसार को बदल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
अपने हों या पराए सबके लिये हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा हरगिज़ न डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं चलना सम्भल-सम्भल के
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के
इन्सानियत के सर पर इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन भी भेंट देकर भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा अंतिम चिता में जल के,
इन्साफ़ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के