Last modified on 3 फ़रवरी 2009, at 21:24

सुन्दरता / केशव

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:24, 3 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केशव |संग्रह=धूप के जल में / केशव }} Category:कविता <poem> श...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शब्द
हो जाते हैं नष्ट
सुन्दरता बनी रहती है
शब्दों से पकड़ने के लिए जिसे
खोजने पड़ते हैं
और-और शब्द
फिर भी
शब्द पकड़ नहीं पाते
उस अपलक दृष्टि को
जो सुन्दरता को
     फूलों लदी नाव की तरह
बहने देती है भीतर
चुपचाप

ऐसे ही क्या
नहीं ले आते शब्द
मेरे निकट तुम्हें
दब जाते हैं फिर
ख़ामोशी की चट्टान तले

रह जाती हो
तुम
केवल मात्र तुम
मेरे पास----
कभी खामोश ज्वालामुखी की तरह
कभी
लहरों से भीगती तट की तरह
कभी
अभी-अभी फूटी कोंपल की तरह
और कभी
धूप के उस उजले समुद्र की तरह
जिसमें हम
नतमस्तक हो
फैल जाते हैं मौसम की तरह
अनंत विस्तार में