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वह उसकी सिहरती देह में / उदयन वाजपेयी

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वह उसकी सिहरती देह में
बोता जाता है अनेक स्पर्श

अपनी ही आभा की झील में
डूब रहा है
चाकू-सा पैना चन्द्रमा

वह अँधेरे कमरे में
चुपचाप उठकर खोजती है
कहाँ गिर गया वह कनफूल !