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ऊँचि डांड्यू तुम नीसि जावा / गढ़वाली
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♦ रचनाकार: महिमानंद
ऊँचि डांड्यू तुम नीसी जावा
घणी कुलायो तुम छाँटि होवा
मैकू लगी छ खुद मैतुड़ा की
बाबाजी को देखण देस देवा
मैत की मेरी तु त पौण प्यारी
सुणौ तु रैवार त मा को मेरी
गडू गदन्य व हिलाँस कप्फू
मैत को मेर तुम गीत गावा
भावार्थ
--'हे ऊँची पहाड़ियो! तुम नीची हो जाओ ।
ओ चीड़ के घने वृक्षो! तुम समने से छँट जाओ ।
मुझे मायके की याद सता रही है,
मुझे पिता जी का देस देखने दो ।
ओ मेरे मायके की हवा !
मेरी माँ का सन्देश सुना ।
ओ नदी-नालो! ओ हिलाँस पक्षी! ओ कप्फू!
तुम सब मिल कर मेरे मायके का गीत गाओ ।'