भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अहले-दिल और भी हैं / साहिर लुधियानवी
Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 15 फ़रवरी 2009 का अवतरण (अहले-ए-दिल और भी हैं / परवीन शाकिर का नाम बदलकर अहले-दिल और भी हैं / परवीन शाकिर कर दिया गया है)
अहले-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
एक हम ही नहीं दुनिया से खफा और भी हैं
हम पे ही ख़त्म नहीं मस्लक-ए-शोरीदासरी
चाक दिल और भी हैं चाक कबा और भी हैं
क्या हुआ अगर मेरे यारों की ज़ुबानें चुप हैं
मेरे शाहिद मेरे यारों के सिवा और भी हैं
सर सलामत है तो क्या संग-ए-मलामत की कमी
जान बाकी है तो पैकान-ए-कज़ा और भी हैं
मुंसिफ-ए-शहर की वहदत पे ना हरफ आ जाये
लोग कहते हैं की अरबाब-ए-जफ़ा और भी हैं