Last modified on 18 फ़रवरी 2009, at 11:17

तितली उंगलियों वाले बच्चे-दो / अवतार एनगिल

प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:17, 18 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एन गिल |एक और दिन / अवतार एन गिल }} <poem> अरे,ओ रो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अरे,ओ
रोशनी की मीनार पर बैठे प्रहरी
पलक मती झपकाना
क्योंकि सागर की लहरों पर
विद्युत रेखाएं लहराते
वे तुम्हारी धरती पर
प्रभुत्व जमाने आयेंगे
वे आयेंगे
और
तेरे सगे वाले
उनकी अगवानी को जायेंगे