भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कठपुतली / सुधा ओम ढींगरा
Kavita Kosh से
अनूप.भार्गव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:13, 26 फ़रवरी 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा }} <poem> कठपुतली हो उसके हाथों की फिर ...)
कठपुतली हो उसके हाथों की
फिर नाज़ -नख़रा कैसा ?
नाचो जैसे नाचाता है
वह आका़ है तुम्हारा ----
धागें हैं उसके हाथों में
कभी कत्थक, कभी कथकली
कभी ओड़िसी, कभी नाट्यम
करवाएँ हैं तुम से ---
कराएँ हैं नौं रस भी अभिनीत
जीवन के नाट्य मंच पर
हँसो या रोओं
विरोध करो या हो विनीत
नाचना तो होगा ही
धागे वो जो थामें हैं-----