भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरिता / एल्युआर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:44, 3 मार्च 2009 का अवतरण
मेरी जीभ के नीचे
बहती है सरिता
जल...
जिसकी
कल्पना भी नहीं करते हम
मेरी
छोटी-सी नाव
और गिरे हुए परदे
चलो बात करें
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी