भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती / सोहनलाल द्विवेदी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 15 नवम्बर 2007 का अवतरण (Reverted edits by 59.95.18.130 (Talk); changed back to last version by Lalit Kumar)

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इस रचना के रचनाकार के बारे में मतभेद है। कुछ लोग इसे सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी की रचना बताते हैं और कुछ हरिवंशराय बच्चन जी की। यदि आपके पास इस दुविधा को दूर करने के लिये इस बारे में कोई प्रमाण हो तो कृपया kavitakosh@gmail.com पर सूचना दें। -- कविता कोश टीम

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।