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तैयारी / गिरिराज किराडू
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आसमान ने पूरी कर ली थी
बरसने की तैयारी
धरती ने पूरा खिलने की
देह ने पूरी कर ली थी
तैयारी उड़ने की
आत्मा ने मुक्ति की पूरी
तभी गोली लगी आँख में
जिसमें नहीं थी पूरी
उजड़ने की तैयारी