भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे पंख दोगे? / ऋषभ देव शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने किताबें माँगी

मुझे चूल्हा मिला,

मैंने दोस्त माँगा

मुझे दूल्हा मिला.





मैंने सपने माँगे

मुझे प्रतिबंध मिले,

मैंने संबंध माँगे

मुझे अनुबंध मिले.





कल मैंने धरती माँगी थी

मुझे समाधि मिली थी,

आज मैं आकाश माँगती हूँ

मुझे पंख दोगे?