भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नहीं तो / नरेश चंद्रकर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:30, 4 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नरेश चंद्रकर |संग्रह=बातचीत की उड़ती धूल में / न...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोई छिप गया है
कवि की लिखी पंक्तियों में!

प्याज की डली होगी-

बिटिया का स्कूल-होमवर्क
बादाम का पेड़
वेतन-पर्ची
डॉक्टर की फीस की पुर्जा
कवि की नींद
कुछ-न-कुछ तो होगा ही

नहीं तो
बारह पंक्तियों की इस कविता से
ठन्न की आवाज़ ज़रूर गूँजती!!