भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाज़ार-5 / विमल कुमार
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:16, 25 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमल कुमार |संग्रह=यह मुखौटा किसका है / विमल कुम...)
जो बाज़ार में खड़ा है
वही दिख रहा है मुस्कुराता
जो बाज़ार में गिर गया
उसे रौंदते हुए एक मोटर चली गई