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रेप / श्याम किशोर

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सड़क पर बिछी हुई थी
चांदनी

कुछ शोहदे
नशे में धुत
एक बेसुरे ब्रास-बैण्ड की धुन पर
रात-भर उस पर
उछलते-कूदते रहे
और छेड़ते रहे
भेड़ियों का भयावह संगीत

टुकड़ों में बँटी थी चांदनी
पत्तियों पर अनगिनत ओस की बूंदों में
सहमी थी चांदनी

लावारिस सड़क
अगली सुबह के इंतज़ार में थी।