मनुष्य की परिभाषा / रवीन्द्र दास

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परिभाषा है मनुष्य की

विवेकशील पशु

पशु कपड़े नहीं पहनते

मनुष्य पहनता है

कपड़े तरह-तरह के

नहीं हैं समानार्थी

विवेक और वस्त्र

मनुष्य पसंद नहीं करता है

जानवर कहलाना

जानवर का तात्पर्य है

बुरा मनुष्य

बस कुछ देर के लिए

मनुष्य ने किया है अर्जित

भाषा, वस्त्र, धर्म, और भी बहुत कुछ

मनुष्य ने किया है

छोड़ने और पकड़ने का विकल्प

मसलन,

पशुता को कला कहा जाना

शालीनता को पिछडेपन

वगैरह, वगैरह .....

मनुष्यों में स्टेटस का चलन है

मनुष्यों में पैसे का शासन है

पैसा प्राकृतिक नहीं

उपलब्धि है यह मानवीय

पैसे की ताकत से

हो सकता है कोई भी पशु

किंतु पालतू नहीं

जंगली और खूंखार

पशु परिवार नहीं बसाते

परिवार बसाता है मनुष्य

क्यों बसाता है परिवार ?

जिसने नहीं बसाया परिवार

वह क्यों नहीं है पशु

चाहे जंगली या पालतू!

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