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जैसा जो पल है / केशव शरण
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यह जमने का समय है
यह पिघलने का
यह कलकल करते हुए बहने का समय है
यह न दिखते हुए उड़ने का
और यह उमड़-घुमड़ बरसने का
जैसा जो पल है
वैसा यह जल है