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नाम / केशव शरण

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हो जाए
कितना भी खंडहर
नाम ’रानी का महल’
कहीं जाएगा,
नाम कहीं जाता है
नाम नहीं जाता है
धूल की तरह उड़ता है
खंडहर में
नाम