भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदमखोर-1 / शुभा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:17, 31 मई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभा |संग्रह=}} <Poem> एक स्त्री बात करने की कोशिश कर ...)
एक स्त्री बात करने की कोशिश कर रही है
तुम उसका चेहरा अलग कर देते हो धड़ से
तुम उसकी छातियाँ अलग कर देते हो
तुम उसकी जांघें अलग कर देते हो
तुम एकांत में करते हो आहार
आदमखोर! तुम इसे हिंसा नहीं मानते