भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जल भरन कैशी जाऊंरे / मीराबाई
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:11, 11 जून 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> जल भरन कैशी जाऊंरे। जशोदा जल भरन॥ध...)
जल भरन कैशी जाऊंरे। जशोदा जल भरन॥ध्रु०॥
वाटेने घाटे पाणी मागे मारग मैं कैशी पाऊं॥ज० १॥
आलीकोर गंगा पलीकोर जमुना। बिचमें सरस्वतीमें नहावूं॥ज० २॥
ब्रिंदावनमें रास रच्चा है। नृत्य करत मन भावूं॥ज० ३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। हेते हरिगुण गाऊं॥ज० ४॥