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पहले अपनी तो ज़ात पहचानें / यगाना चंगेज़ी
Kavita Kosh से
पहले अपनी तो ज़ात पहचाने।
राज़े-क़ुदरत बखाननेवाला॥
जानकर और हो गया अनजान।
हो तो ऐसा हो जाननेवाला॥
पेट के हलके लाख बड़मारें।
कोई खुलता है जाननेवाला॥
ख़ाक में मिलके पाक हो जाता।
छानता क्या है छाननेवाला॥
दिन को दिन समझे और न रात को रात।
वक़्त की क़द्र जाननेवाला॥