भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हासिले-फ़िक्रे नारसा क्या है / यगाना चंगेज़ी
Kavita Kosh से
चंद्र मौलेश्वर (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:42, 14 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: हासिले-फ़िक्रे नारसा क्या है। तू खु़दा बन गया बुरा क्या है॥ कैसे...)
हासिले-फ़िक्रे नारसा क्या है।
तू खु़दा बन गया बुरा क्या है॥
कैसे-कैसे ख़ुदा बना डाले।
खेल बन्दे का है ख़ुदा क्या है॥
दर्दे-दिल की कोई दवा न हुआ।
या इलाही! यह माजरा क्या है।।
नूर ही नूर है कहाँ का ज़हूर।
उठ गया परदा अब रहा क्या है॥
रहने दे हुस्न का ढका परदा।
वक़्त-बेवक़्त झाँकता क्या है॥