भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मैं जाता क्या / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:43, 25 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=संसार बदल जाएगा / विष्णु नाग...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं जाता क्या
पर मुझे बुलाया है
खाते-खाते उठवाया है

मैं जाता क्या
माया होती तो जाता
पर मुझे बुलाया है
जाते-जाते कहलवाया है

मैं जाता क्या
जाकर करता क्या
पर मुझे बुलाया है
ग़रीबी में आटा गीला करवाया है

मैं जाता क्या
मेरे जाने से होता क्या
पर मुझे बुलाया है
रास्ता तक बताया है

मैं जाता क्या
जाता तो खाता क्या
पर मुझे बुलाया है
सत्तू खिलाने का
भरोसा दिलाया है