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खरी सासु घरी न छमा करिहैं / बोधा

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खरी सासु घरी न छमा करिहैं, निसिबासर त्रासन हीं मरबी।
सदा भौंहे चरहै ननदी, यों जेठानी की तीखी सुनै जरबी॥

'कवि बोधा न संग तिहारो चहैं, यह नाहक नेक फँदा परबी।
बऑंखें तिहारी लगैं ये लली, लगि जैहें कँ तो कहा करबी॥