भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ऐश में एहसास की बातें चलीं / प्रेम भारद्वाज

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:21, 30 जुलाई 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem> ऐश में अहसास की बातें चली मैकदों में प्यास की बातें चली कीचड़ो...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐश में अहसास की बातें चली
मैकदों में प्यास की बातें चली

कीचड़ों ने कमल जब पैदा किए
देवियों के वास की बातें चली

जब कभी रावण के सिर आई है मौत
राम के बनवास की बातें चली
पतझड़ी सन्यास बस आया गया
जब कभी मधुमास की बातें चलीं

याद आया वह पहाड़ी हमसफर
आपसी विश्वास की बातें चली

रह गईं अनुबन्ध बनकर ज़िन्दगी
प्रेम के बनवास की बातें चली