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स्वप्न / ओमप्रकाश सारस्वत
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स्वप्न
स्वप्न का विस्मरण है
आत्मसमर्पण
दूर कहीं दूर
किसी अतेन्द्रिय धरातल पर
दो आत्माओं का
अपरिचित मिलन