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बडभाग सुहाग भरी पिय सों / लाल कवि

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बडभाग सुहाग भरी पिय सों, लहि फागु में रागन गायो करै।
कवि 'लाल' गुलाल की धूँधर में, चख चंचल चारु चलायो करै॥
उझकै झिझकै झहराय झुकै, सखि-मंडल को मन भायो करै।
छतियाँ पर रंग परे ते तिया, रति रंग ते रंग सवायो करै॥