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यमुना पुलिन कुंज गह्वर की / ललित किशोरी

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यमुना पुलिन कुंज गह्वर की, कोकिल ह्वै द्रुम कूक मचाऊँ।
पद-पंकज प्रिय लाल मधुप ह्वै, मधुरे-मधुरे गुंज सुनाऊँ॥

कूकुर ह्वै ब्रज बीथिन डोलौं, बचे सीथ रसिकन के पाऊँ।
'ललित किसोरी' आस यही मम, ब्रज रज तज छिन अनत न जाऊँ॥