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कहीं चांद राहों में खो गया / बशीर बद्र
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रचनाकार: बशीर बद्र
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कहाँ आँसूओं की ये सौग़ात होगी
नये लोग होंगे नई बात होगी
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
तुम्हारी मुहब्बत अगर साथ होगी
चराग़ों को आँखों से महफ़ूस रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
किसी मोड़ पे फिर मुलाक़ात होगी