भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पुल / अवतार एनगिल
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:58, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण
दूर
बहुत दूर
सुनाई दे रही
ख़ुश्बू की आहट
पास बहुत
भटकती है
गुलमोहरी कसक
दूरी और सामीप्य में
लहरा रहा है
एक क्षण।