भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दूसरे शहर में / केदारनाथ सिंह
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:05, 25 सितम्बर 2009 का अवतरण
यही हुआ था पिछ्ली बार
यही होगा अगली बार भी
हम फिर मिलेंगे
किसी दूसरे शहर में
और ताकते रह जाएंगे
एक-दूसरे का मुँह