भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
दूसरो को हमारी सजाएँ न दें / बशीर बद्र
Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:52, 3 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बशीर बद्र |संग्रह=उजाले अपनी यादों के / बशीर बद्...)
दूसरों को हमारी सज़ाएँ न दे
चांदनी रात को बददुआएँ न दे
फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियाँ ख़ुद रुकेंगी सदाएँ न दे
सब गुनाहों का इकरार करने लगे
इस क़दर ख़ूबसूरत सज़ाएँ न दे
मैं दरख़्तों की सफ़ का भिखारी नहीं
बेवफ़ा मौसमों की कबाएँ न दे
मोतियों को छिपा सीपियों की तरह
बेवफ़ाओं को अपनी वफ़ाएँ न दे
मैं बिखर जाऊँगा आंसुओं की तरह
इस क़दर प्यार से बददुआएँ न दे