भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरे हथेली गाल पर / शलभ श्रीराम सिंह

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:59, 19 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatGeet‎}} <poem> धरे हथेली गाल पर सो…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरे हथेली गाल पर
सोच रहा हूँ कल की बातें- गए वर्ष की कुछ तस्वीरें
झूल रहीं दीवाल पर !
धरे हथेली गाल पर...!