भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मायूस कर रहा है / अकबर इलाहाबादी

Kavita Kosh से
अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:04, 23 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अकबर इलाहाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> मायूस कर रहा है नई रोश…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मायूस कर रहा है नई रोशनी का रंग
इसका न कुछ अदब है न एतबार है

तक़दीस मास्टर की न लीडर का फ़ातेहा
यानी न नूरे-दिल है, न शमये मज़ार है