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दोहे-3 / राजा शिवप्रसाद सितारे-हिन्द
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घर बसा दिन-रात उन का तब मदन वान उस घड़ी,
कह गई दुल्ह-दुल्हिन को ऐसी सौ बातें कड़ी।
बास पाकर केवड़े की केतकी का जी खुला।
सच है, इन दोनों जनों को अब किसकी क्या पड़ी?
क्या न आई लाज कुछ अपने पराए की? अजी!
थी अभी इस बात की ऐसी अभी क्या हड़बड़ी?