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बंद कमरे में जो मिली होगी / जगदीश तपिश

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बंद कमरे में जो मिली होगी
वो परेशान ज़िन्दगी होगी

यूँ भी कतरा के गुज़रने की वज़ह
हम में तुम में कहीं कमी होगी

हम सितम को वहम समझ बैठे
कौन-सी चीज़ आदमी होगी

और भी कई निशान उभरे हैं
तेरी मंज़िल यहीं कहीं होगी

ये है दस्तूर-ए-आशनाई "तपिश"
उनकी आँखों में भी नमी होगी