भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जंग / निदा फ़ाज़ली

Kavita Kosh से
अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:59, 30 अक्टूबर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निदा फ़ाज़ली |संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सरहदों पर फ़तह का ऐलान हो जाने के बाद
जंग!
बे-घर बे-सहारा
सर्द ख़ामोशी की आँधी में बिखर के
ज़र्रा-ज़र्रा फैलती है
तेल
घी
आटा
खनकती चूड़ियों का रूप भर के
बस्ती-बस्ती डोलती है

दिन-दहाड़े
हर गली-कूचे में घुसकर
बंद दरवाजों की साँकल खोलती है
मुद्दतों तक
जंग!
घर-घर बोलती है
सरहदों पर फ़तह का ऐलान हो जाने के बाद