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ज़ख़्म जो आप की इनायत है / सुदर्शन फ़ाकिर

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रचना संदर्भरचनाकार:  सुदर्शन फ़ाकिर
पुस्तक:  प्रकाशक:  
वर्ष:  पृष्ठ संख्या:  

ज़ख़्म जो आप की इनायत है इस निशानी को क्या नाम दे हम
प्यार दीवार बन के रह गया है इस कहानी को क्या नाम दे हम

आप इल्ज़ाम धर गये हम पर एक एहसान कर गये हम पर
आप की ये मेहरबानी है मेहरबानी को क्या नाम दे हम

आपको यूँ ही ज़िन्दगी समझा धूप को हमने चाँदनी समझा
भूल ही भूल जिस की आदत है इस जवानी को नाम क्या दे हम

रात सपना बहार का देखा दिन हुआ तो ग़ुबार सा देखा
बेवफ़ा वक़्त बेज़ुबाँ निकला बेज़ुबानी को नाम क्या दे हम