Last modified on 5 नवम्बर 2009, at 23:47

एक शे’र4 / अली सरदार जाफ़री

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:47, 5 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक शे’र


मुसहफ़े-रुख़<ref>चेहरे की किताब</ref> पे जो ज़ुल्फ़ों ने लिखा बिस्मिल्लाह
आयी ज़ंज़ीर के हल्क़ों की सदा, बिस्मिल्लाह

शब्दार्थ
<references/>