भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सांचो प्रीतम / मीराबाई

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:38, 6 दिसम्बर 2006 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
रचना संदर्भरचनाकार:  मीराबाई
पुस्तक:  प्रकाशक:  
वर्ष:  पृष्ठ संख्या:  

मैं गिरधर के घर जाऊँ।
गिरधर म्हांरो सांचो प्रीतम देखत रूप लुभाऊँ।।
रैण पड़ै तबही उठ जाऊँ भोर भये उठिआऊँ।
रैन दिना वाके संग खेलूं ज्यूं त्यूं ताहि रिझाऊँ।।
जो पहिरावै सोई पहिरूं जो दे सोई खाऊँ।
मेरी उणकी प्रीति पुराणी उण बिन पल न रहाऊँ।
जहाँ बैठावें तितही बैठूं बेचै तो बिक जाऊँ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बार बार बलि जाऊँ।।