भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें / फ़राज़

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:11, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें
दिल भी माना नहीं के तुझसे कहें
आज तक अपनी बेकली का सबब
ख़ुद भी जाना नहीं के तुझसे कहें
एक तू हर्फ़आश्ना था मगर
अब ज़माना नहीं के तुझसे कहें
बे-तरह दिल है और तुझसे
दोस्ताना नहीं के तुझसे कहें
ऐ ख़ुदा दर्द-ए-दिल है बख़्शिश-ए-दोस्त
आब-ओ-दाना नहीं के तुझसे कहें