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भावाकुल मन की कौन कहे मजबूरी / हरिवंशराय बच्चन

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भावाकुल मन की कौन कहे मजबूरी।
बोल उठी है मेरे स्वर में
तेरी कौन कहानी,
कौन जगी मेरी ध्वनियों में
तेरी पीर पुरानी,
अंगों में रोमांच हुआ, क्यों
कोर नयन के भीगे,
भावाकुल मन की कौन कहे मजबूरी।