Last modified on 12 नवम्बर 2009, at 08:42

भोजन कीजै प्रान-पिआरी / भारतेंदु हरिश्चंद्र

अजय यादव (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:42, 12 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }} <poem> भोजन कीजै प्रान-पिआरी…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

भोजन कीजै प्रान-पिआरी।
भई बड़ी बार हिंडोले झूलत आज भयो श्रम भारी।
बिंजन मीठे दूध सुहातो लीजै भानु-दुलारी।
स्याम-स्याम चरन कमलन पर ’हरीचंद’ बलिहारी॥