भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा / भजन
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:30, 13 नवम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKBhajan |रचनाकार= }} <poem>कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा, आना पड़ेग…)
कन्हैया कन्हैया तुझे आना पड़ेगा,
आना पड़ेगा .
वचन गीता वाला निभाना पड़ेगा ..
गोकुल में आया मथुरा में आ
छवि प्यारी प्यारी कहीं तो दिखा .
अरे सांवरे देख आ के ज़रा
सूनी सूनी पड़ी है तेरी द्वारिका ..
जमुना के पानी में हलचल नहीं .
मधुबन में पहला सा जलथल नहीं .
वही कुंज गलियाँ वही गोपिआँ .
छनकती मगर कोई झान्झर नहीं .